Jan 23, 2014

लोहे के घर की खिड़की कहानियाँ दिखाती हैं!

इस झोपड़ी में एक बुढ़िया दादी रहती थीं।


 धूप में ऐसे बैठी रहती  थीं।


ईश्वर करे स्वस्थ हों, हाड़ कंपाती ठंड में रजाई से दुबकी सो रही हों।

2 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन नेताजी की ११७ वीं जयंती - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर तस्वीरे | हाँ इश्वर करे ऐसा ही हो |

    ReplyDelete